मेरे कई पेशन्ट पूछते है की साहब ये पंचकर्म क्या है? आज में आप के सामने बहुत ही सरल रूप में पंचकर्म का स्वरुप समझाने जा रहा हु। हमने पिछले वीडियो में देखा की आज किस प्रकार हमारे शरीर में आहार, जल और वायु से टॉक्सिन जमा हो रहे है। इसे दूर करने के लिए महर्षि सुश्रुत भी पंचकर्म बताते है। इस पोस्ट में में आप को बताऊंगा की गाड़ी या मशीन के लिए उसे की रूटीन सर्विस जरूरी है ठीक उसी प्रकार शरीर रूपी मशीन की सर्विस के लिए पंचकर्म जरूरी है।
दोस्तों जिस प्रकार हमने देखा की बहार से हमारे शरीर में टॉक्सिन आते है उसी प्रकार क्या आप ये जानते है की शरीर खुद भी अपने आप टॉक्सिन का निर्माण करता है???
जी हां शरीर में पाचन, मेटाबोलिज़म और ऐसी अनेक प्रक्रियाएं २४ घंटे चलाती रहती जिस से वेस्ट प्रोडक्ट के रूप में मल, मूत्र , बलगम (कफ), पसीना, आँख, नाक, कान के मेल आदि का निर्माण होता है। ये सब शरीर से कई प्रकार के कचरे या टॉक्सिन को बहार निकालते है। अगर हम आयुर्वेद में बताये गए आहार विहार और दिनचर्या का अनुसरण करते है तो यह टॉक्सिन इसी प्रकार सुचारु रूप से बहार निकलते रहते है और हमारा शरीर स्वस्थ रहता है।
पर आजकल की फ़ास्ट लाइफ स्टाइल , स्ट्रेस , sedentary लाइफ , और सीज़नल इफ़ेक्ट शरीर के इस नेचरल स्वच्छता अभियान याने मल, मूत्र, पसीना , वायु, पित्त , कफ आदि को पूर्ण रूप से बहार नहीं निकाल सकता। और वे हमारे शरीरमें जमा होते जा रहे है। इस प्रकार बहार से आहार, जल और वायु से आनेवाले टॉक्सिन और शरीरमे भी अंदर बन रहे वेस्ट प्रोडक्ट्स की मात्रा बढ़ जाने से धीरे धीरे डायजेशन और मेटाबोलिज़म बिगड़ता है। जिस से पुरे महसूस होना, उत्साह न रहना, आलस , भारीपन, चिड़चिड़ापन, विटामिन या ब्लड की कमी से लेकर डायबिटीस, बीपी, कोलेस्टेरोल, मोटापा, अर्थराइटिस आदि अनेक बिमारीयो होती है। साथ ही ये टॉक्सिन बीमारियों को ठीक भी नहीं होने देते जैसे अगर आप को शुगर, बीपी, कोलेस्टेरोल, मोटापा आदि है तो वो कंट्रोल में नहीं रहा पाटा चाके आप कितनी भी दवाइया ले।
हमारे शरीर में जमा हो रहे ऐसे अनेक प्रकार के टॉक्सिन और वेस्ट प्रोडक्ट्स को सरलता से बहार निकालने की कम्पलीट सायंटिफिक मेथड याने पंचकर्म।