नेत्र ज्योति को बलवान बनाने के लीए

त्रिफला चूर्ण - आधा चमच + मधु - १ चमच + गाय का घी - आधा चमच तीनों को मिलाकर रात को सोने से पहले लें |


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नित्य स्वस्थ रहना चाहते है?

तच्च नित्यं प्रयुञ्जीत स्वास्थ्यं येनानुवर्तते  | चरकसंहिता सू . 5/12 आचार्य चरक के अनुसार लाल चावल, मुंग, सैंधा नमक, आंवला, जव, गाय का दूध, घी, शहद, अनार, मुनक्का, मिश्री का प्रयोग रोज आहार में करना चाहिए |


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युवा रहने का उपाय

प्रातः हर रोज तेल की मालीश करने से शरीर में वायु के रोग नहीं होते, शरीर पुष्ट होता है, दृष्टि निर्मल होती है, आयु बढती है, नींद अच्छी आती है, त्वचा झुरियोँ से रहित होती है,थकान नष्ट होती है। बुढ़ापा देर से आता है।  


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पुराना संधिवात और मांसपेशीयो की निर्बलता

महर्षि चरक का उपाय:पुराने संधिवात के रोगमें जोडों में दर्द, सूजन, अधिक दुर्बलता, वजन की कमी, जोडों का टेढ़ा हो जाना आदि समस्याएँ हो तो एरंडी की जड़ का काढा बनाकर थोड़े दिन लगातार पीने से दुर्बलता दूर होती है, वजन बढ़ता है और दर्द में आराम होने लगता है|


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क्या आप गेस, कब्ज, अपचन, भारीपन और कफ के विकारों से परेशान है?

इन बिमारीयों की जड़ कमजोर पाचनशक्ति है| ये रहा महर्षि वाग्भट का बताया सरल उपाय:नित्य भोजन करने से पूर्व अदरक में थोडा सैंधा नमक मिलाकर खाने से पाचन शक्ति (जठराग्नि) तेज होती है और अपचन, गेस एवं कब्ज आदि नहीं होते है| गरम तासीरवालों को आद्रक का प्रयोग कम मात्रा में करना चाहीए|


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दस्त, पचीस,पेट में मरोड़ का कारण व सरल उपाय

भारी एवं अति मात्रामे भोजन, अपचन आदि कारणों से आंतोमे सुजन आ जाती है और उसके कारण दस्त, मरोड़ के साथ पेचीस हो जाती है| ऐसे में हल्के आहार या उपवास के साथ सौंठ का चूर्ण आधा से एक चमच ताजी छाछ से लेनेसे तुरंत आराम होता है| जिन को तीखा, मसालेदार खाने कारण आंतोमें गरमी से जलन के साथ मरोड़दार पचीस व दस्त हो तो कच्चे बेलफल का चूर्ण १ चमच छाछ या अनार के रस से लेने से लाभ होता है|


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मालीश कौन से तेल से करें?

स्वास्थ्य रक्षा के लीए सामान्य तौर पर तिल के तेल से मालीश उत्तम है। पर गर्मीयों में या गरम तासिर के लोग को नारियल तेल से, जाड़े में और कफ एवं त्वचा के विकार में सरसों के तेल से तथा गठिया जैसे जोड़ों के रोग में एरंडी के तेल से मालीश करना चाहीये।


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सूरन: आलू का श्रेष्ठ विकल्प

महर्षि भावप्रकाशने सूरन को  सभी कंदमूल में श्रेष्ठ माना है| सुरन एक बहुत ही पौष्टिक, सुपाच्य और अनेक रोगों को दूर करने वाली औषधि है जो स्वादिष्ट शाक बनाकर मजे से खाई जा सकती है| स्वाद में आलू जैसी होने पर भी आलू से उतम है| सूखे बवासीर, कब्ज, गेस आदी को यह ठीक करती है |


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कितनी बार भोजन करना चाहीये?

महर्षि वेद व्यास का कथन है की स्वस्थ रहने के लीए दो बार भोजन करना चाहीए|  जिससे शरीर की जठराग्नि- पाचनशक्ति ठीक रहेती है| फिर भी बच्चे, शारीरिक परिश्रम करनेवाले किसान आदि अपनी भूख के अनुसार ज्यादाबार खाना ले सकते है|


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दांत की रक्षा का श्रेष्ठ उपाय

महर्षि चरक का सुझाव है की तिल के तेल को गुनगुना गरम करके मुंह में १० मिनिट धारण करे उसके बाद फेंक कर गरम पानी से कुला कर ले| यह प्रयोग नियमित रूप से करने से दांत और मसूड़े मजबूत होते है|


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जोडों में दर्द, सुजन, जकड़न का आयुर्वेदिक उपाय

सौंठ सिद्ध पानी: १ लीटर पानी में आधा से १ चमच (२-५ ग्राम) सौंठ का चूर्ण डालकर उसे उबालें| ८०० ml पानी शेष बचे तब छानकर उसे पुरे दिन में थोडा थोड़ा पीते रहें| इससे शरीर में संधिवात आदि जोडों के दर्द से राहत मिलती है| गरमी में यह प्रयोग न करे या कम करे|


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दस्त का आयुवेर्दिक उपाय

महर्षि चक्रदत्त के अनुसार नदी के वेग के समान दस्त होते हो और किसीभी उपाय से शांत न होते हो तो आवले का चूर्ण जल से पीसकर नाभि के आस-पास उससे किनार बांध दे फिर उसमें अदरक  का रस भरकर रोगी को थोड़ी देर हलन चलन बिना सुलाये रखें ; इससे दस्त तुरंत बंध हो जाते है|


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छाछ पीने के लाभ

महर्षि चरक के अनुसार नियमित रूप से छाछ का सेवन करने से अपचन, सुजन, बवासीर तथा घी के अपचन से होने वाली समस्याएं दूर होती है| छाछ का सेवन पाचन शक्ति को तेज बनाता है|


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खांसी और कफ का उपाय

अडूसे के पत्तों को पानी में थोड़ी देर उबालकर पतों को मसलकर रस निकाले और छान ले|वह रस ठंडा होने पर उसमें शहद मिलाकर पीने से कफवाली खांसीमे बहुत लाभ होता है| यह प्रयोग सुखी खांसी पर इतना लाभकर प्रतीत नहीं होता|


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Walking Is The Best Exercise

यत्तु चङ्क्रमणं नातिदेहपीडाकरं भवेत्| तदायुर्बलमेधाग्निप्रदमिन्द्रिय बोधनम्|| महर्षि सुश्रुत સરળતાથી પોતાની શક્તિ અનુસાર ચાલવાથી આયુષ્ય, પાચનશક્તિ (અગ્નિ), મેધા ને વધારે છે તેમજ દરેક અંગોને ચૈતન્ય ઊર્જા પ્રદાન કરે છે. આથી જ ચાલવું એ સૌથી શ્રેષ્ઠ કસરત છે. ચાલવાથી હૃદય અને ફેફસાં મજબુત થાય છે અને આંતરડાની શક્તિ વધે છે.


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