How to increase vitamin D naturally by Ayurveda

विटामिन डी की कमी को दूर करने का सरल आयुर्वेदिक उपाय

What is Vitamin D and its Importance in Bone Health?

हमारी हड्डियों  में कैल्शियम की आपूर्ति  सही रूप से करने के लीए विटामिन डी अति आवश्यक है | हम जो आहार लेते है उसमें से कैल्शियम , फोस्फरस आदि मिनरल्स को आंत में से अवशोषण कर उसे हड्डियों तक पहोचाने के लीए विटामिन डी जरूरी है। जिस से हड्डियों की घनता (Bone Mineral Density) बनी रहती है।

Importance of Vitamin D in Health maintenance?

अनेक रोगो की रोकथाम और चिकित्सा के लीए भी विटामिन डी की महत्वपूर्ण भूमिका है। जैसे की डायबिटीस, हाय ब्लड प्रेशर , मल्टीपल स्केलेरोसिस , ह्रदय रोग, केन्सर ।

Vitamin D Deficiency :

अगर शरीरमें विटामिन डी की कमी होती है तो जोड़ों और मांसपेशीयों में दर्द, बालो का झड़ना, थकान, हड्डियों की कमजोरी , ओस्टीओपोरोसिस आदि लक्षण दिखाई देते है। साथ ही उस से वृद्धों में यादाश्त कम होना ,केन्सर आदि रोगों का खतरा रहता है।  यहाँ तक की इससे बच्चों में अस्थमा जैसी गंभीर बिमारी होने का भय बना रहता है।

How Ayurveda Helps in Vitamin D deficiency;

वर्तमान समय में विटामिन डी की कमी के किस्से बढ़ाते जा रहे है। लोगो को धूप में बैठने और सप्लीमेंट्स चालु रखने की सलाह दी जाती है। ये सब करने पर भी जब सप्प्लीमेंट्स बंध करते है तो थोड़े महीनों में इसकी फिर से कमी होना शुरू हो जाती है। कई बार तो रोगी भी टेबलेट्स लेते लेते परेशान हो जाते है।

यहाँ पर आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांत से चिकित्सा करने पर उत्तम परिणाम मील रहे है। आयुर्वेद में महर्षि वाग्भट्ट बताते है

“तत्र अस्थि स्थितो वायु:” —-  अष्टाङ्ग हृदय सू . 11/ 26

अर्थात अस्थि धातु याने हड्डियों की कमजोरी तभी होगी जब उसमें वात दोष बढ़ेगा। और उसको दूर करने के लीए तिक्त घृत का प्रयोग करना चाहिए।

हमने यही तिक्त घृत को पुरी शास्त्रीय विधि से देशी गाय के घी का उपयोग करके बनाया।साथ ही यह तिक्त घृत देने से पहले रुग्णों की जठराग्नि और मेद धात्वाग्नि को ठीक किया। क्युँकि जब तक अग्नि ठीक नहीं होता तब तक घृत का पाचन नहीं होगा और हमें निश्चित लाभ नहीं मिलेगा। इसके २ महीने लगातार प्रयोग से विटामिन डी की कमी स्थायी रूप से दूर हुई।

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